लोक संस्कृति में राष्ट्रीय चेतना का संचार करें
संस्कृत और भारतीय संस्कृति के संरक्षण व प्रचार-प्रसार में योगदान दें। लोक संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
आइए मिलकर पुनः जगाएं भारत की प्राचीन गौरवशाली परंपराएं — हमारी संस्कृति, संस्कृत और संस्कारों की ज्योति जलाने में हमारा साथ दे
‘संस्कृति संस्कृत संस्कार शिक्षा समिति’ एक पञ्जीकृत गैर लाभकारी अशासकीय संगठन (समिति) है, जो कि मध्य प्रदेश के ग्राम बरौदी, जिला दतिया, में सन् 2003 से सक्रिय रूप से कार्यरत है । समिति की स्थापना भारतीय ज्ञान परम्परा (Indian Knowledge System) में निहित शैक्षणिक एवं अकादमिक उद्देश्यों को पूर्ण करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार, सभ्यता, नैतिकता, वैदिक ज्ञान-विज्ञान, उपनिषद् एवं ऋषियों की महनीय परम्परा के शिक्षण तथा उन्हें संरक्षित करने के लिए की गयी है।
शैक्षणिक एवं अकादमिक उद्देश्यों को पूर्ण करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति तथा उन्हें संरक्षित करने के लिए की गयी है।
We have formulated 'Fourteen Point Formula' based on the diversity of our society, in which we are contributing.
संस्कृति संरक्षण के समस्त कार्य यथा भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं कलाओं के प्रचार–प्रसार, उन्मुखीकरण व परिपोषण हेतु विभिन्न आयोजन करना।
संस्कृत भाषा में निहित ज्ञान-विज्ञान के संरक्षण, संवर्धन, लोकव्यापीकरण हेतु शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करना।
बालक-बालिकाओं एवं युवाओं को भारतीय वैदिक सभ्यता, संस्कृति, जीवन मूल्यों के प्रति जागरूक करना।
शिक्षा के विविध आयामों में समस्त प्रकार के कार्य तथा शिक्षण-प्रशिक्षण आदि प्रदान करना।
वृक्षारोपण, वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, वाटिका, उद्यानों आदि के संरक्षण व संवर्धन हेतु कार्य करना।
जल स्रोतों के संरक्षण, संवर्धन व स्वच्छता हेतु कार्य करना तथा जल संग्रहण प्रणाली को बढ़ावा देना।
ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करना।
महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण, बाल संरक्षण, कुपोषण उन्मूलन आदि के लिए समस्त प्रकार के कार्य करना।
जैविक कृषि, खाद्य प्रसंस्करण एवं नवीन तकनीकों के प्रयोग हेतु किसानों को शिक्षित करना।
ग्राम स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, गरीबी उन्मूलन आदि के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
गौवंश एवं पशुधन संवर्धन के लिए समस्त प्रकार के कार्य करना यथा गौशाला निर्माण एवं प्रबंधन, गोचर भूमि संरक्षण व संवर्धन, दुग्धशाला (डेयरी) संचालन, तत्सम्बन्धी शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा कार्यशालाओं का आयोजन, पशु स्वास्थ्य, पशु क्रूरता निवारण आदि लोकोपकारी कार्य करना ।
कौशल विकास व आत्मनिर्भर भारत के लिए युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित व प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से पारम्परिक एवं आधुनिक कौशल विकास केन्द्रित व्यावसायिक शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला एवं विशेष शिबिरों का आयोजन करना तथा उन्मुखीकरण कार्य करना ।
राष्ट्र निर्माण व सामाजिक समरसता के लिए सतत कार्य करना, सर्वधर्म समभाव, सामुदायिक सद्भाव, शान्ति, अहिंसा, राष्ट्रहित, राष्ट्रकल्याण, राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रीय एकता के साथ राष्ट्रवादी सिद्धान्तों एवं विचारों की स्थापना के लिए कार्य करना ।
संस्था के वे संस्थापक व्यक्तित्व, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति, शिक्षा एवं नैतिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित कर दिया।
संस्कृत और भारतीय संस्कृति के संरक्षण व प्रचार-प्रसार में योगदान दें। लोक संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि आत्मिक, मानसिक और शारीरिक संतुलन प्राप्त करने का एक मार्ग है। इसे अपनाकर स्वस्थ जीवन जियें।
पंडित राघवेंद्र शर्मा जी ने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने और शिक्षा के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य है।